PM Van Dhan Yojana 2022। प्रधानमंत्री वन धन योजना आवेदन फॉर्म, Pradhan Mantri Van Dhan Yojana 2022 In Hindi | Central Govt Van Dhan Yojna PIB & Vikas Kendra | जनजातीय लोगों के लिए वन धन विकास केंद्र की स्थापना।
केंद्र सरकार ने वन धन विकास योजना को वित्त वर्ष 2018-19 में शुरू किया था जिसको अब आगे बढ़ा कर वर्ष 2022 में 3000 वन धन केंद्रों की स्थापना करने जा रही है। इस सरकारी योजना को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को संविधान के निर्माता श्री बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस पर लॉन्च किया था। जिसमें अब विस्तार करके मोदी सरकार वन धन केंद्र स्थापित करने जा रही है।
केन्द्रों का निर्माण करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय पूरे देश में 30,000 स्वयं सहायता समूह स्थापित करेगा। जिसका मुख्य फोकस वन संपदा (गैर-लकड़ी उत्पादन) का विकास करना होगा और देश में लकड़ी के उत्पादों को बनाने के लिए पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाने का काम करेगी। इसके साथ ही वनों का विकास करना भी मुख्य लक्ष्य होगा।
वन धन मिशन गैर-लकड़ी के वन उत्पादन का उपयोग करके जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए आजीविका के साधन उत्पन्न करने की पहल है। जंगलों से प्राप्त होने वाली संपदा, जो कि वन धन है, का कुल मूल्य दो लाख करोड़ प्रतिवर्ष है। वन धन विकास योजना के पहले चरण में सरकार 115 आकांक्षात्मक जिलों में काम शुरू करेगी और बाद में इसे सभी जनजातीय क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। वन धन योजना, जन धन योजना और गोबर धन योजना मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक हैं।
PM Van Dhan Yojana 2022
The scheme aims at the economic development of tribals involved in the collection of Minor Food Produces (MFPs) by helping them in optimum utilization of natural resources and providing them with a sustainable livelihood.
Under this scheme, the Van Dhan Vikas Kendras constituted, provide skill up-gradation and capacity building training and setting up of primary processing and value addition facilities.
The tribals will be trained on sustainable harvesting, collection, primary processing and value addition. They will be formed into clusters to aggregate their stock in tradable quantity and link them with the facility of primary processing in Van Dhan Vikas Kendra.
These Kendras play a significant role in the economic progress and development of tribes. They also help the tribals utilize their natural resources in the best possible way providing them with a sustainable livelihood based on Minor Forest Produce from the MFP-rich areas.
The central and state governments will provide necessary support by creating infrastructure and providing enabling environment for undertaking value addition on systematic scientific lines.
प्रधानमंत्री वन धन योजना
Pradhan Mantri Van Dhan Yojana (PM-VDY): प्यारे पाठकों, आज हम आपके लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक कल्याण योजना से संबंधित जानकारी लेके आएं हैं। इस योजना का नाम “प्रधानमंत्री वन धन योजना” है। प्रधानमंत्री वन धन योजना, आदिवासी उत्पादों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से आदिवासी आय में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा की गई एक पहल है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आदिवासी समाज के आर्थिक विकास एवं वन धन का समुचित उपयोग करने में जनजातीय समुदाय की क्षमता का उपयोग देश के विकास हेतु करने के उद्देश्य से योजना का संचालन किया गया है। प्रधानमंत्री द्वारा आंबेडकर जयंती पर 14 अप्रैल 2018 को योजना के तहत पहला वन धन विकास केंद्र की स्थापना छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थापित करने की घोषणा की गयी थी।
इस केंद्र में जनजाति वर्ग के 300 युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग दिए जाने का प्रावधान किया गया है। योजना के अंतर्गत जनजातीय युवाओं को इमली, महुआ भंडारण, कलौंजी की साफ़-सफाई एवं पैकेजिंग की ट्रेनिंग देने के साथ हीं प्राथमिक प्रसंस्करण इकाई एवं फसलों के मूल्य वर्धन से सम्बंधित जानकारी दी जायेगी। जिससे उनके कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और वन धन एवं आदिवासी जन धन का देश के विकास में पूर्ण रूप से उपयोग किया जा सकेगा। इस योजना का संचालन जनजातीय विकास मंत्रालय और (TRIFED) ट्राइबल कोआपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया के देख -रेख में किया जायगा। यह योजना आदिवासी जनजातीय वर्ग के युवाओं के कौशल विकास हेतु शुरू किया गया है।
पीएम वन धन योजना के लाभ-
Benefits of PM Van Dhan Yojana – वन धन योजना के लाभ निम्नलिखित प्रकार से हैं।
- इस योजना के तहत वन धन विकास केंद्र में जनजातीय वर्ग के युवाओं को वन धन ईमली,महुआ के फूल के भंडारण , कलौंजी की सफाई एवं अन्य माइनर फारेस्ट प्रोडक्ट्स जैसे शहद, ब्रशवुड, केन्स,टसर तथा आदिवासी क्षेत्र में पायी जाने वाली अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के रख-रखाव की ट्रेनिंग एवं मार्केटिंग से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- जिससे जनजातीय वर्ग के युवाओं की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
- और आदिवासी क्षेत्र का विकास होगा एवं जनजातीय वर्ग की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- आदिवासी जनजातीय वर्ग की कार्य क्षमता का देश के विकास में योगदान प्राप्त किया जा सकेगा।
- वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी के लिए, लघु वन उत्पाद उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं। इस योजना के तहत, आदिवासी को एमएफपी के संग्रह और मूल्य संवर्धन में आदिवासी समुदाय के प्रयासों के प्रति निष्पक्ष और पारिश्रमिक रिटर्न सुनिश्चित करके आजीविका बनाने और आय उत्पन्न करने का मौका मिलेगा।
- 30 आदिवासी के 10 स्वयं सहायता समूह गठित किए जाएंगे। इन समूहों को स्थायी कटाई / संग्रहण, प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण मिलेगा।
- अपने स्टॉक को एकत्र करने के लिए समूहों में बनाया जाएगा और योजना में प्राथमिक प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
वन धन योजना केंद्र – विशेषताएँ
वन धन केंद्र जनजातीय क्षेत्र के लोगों के लिए उनकी आय को बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य करेंगे, जिनकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- आरंभ में इन केन्द्रों में टेमारिंड ईंट निर्माण, महुआ फूल भंडारण केंद्र तथा चिरौंजी को साफ करने एवं पैकेजिंग के लिये प्रसंस्करण सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
- ट्राइफेड(ट्राइबल कोआपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) ने छत्तसीगढ़ के बीजापुर ज़िले में इस प्रायोगिक विकास केंद्र की स्थापना का कार्य सीजीएमएफपी फेडरेशन को सौंपा है तथा बीजापुर के कलेक्टर इनके बीच समन्वय ठीक से बना रहे इसका कार्य करेंगे।
- जनजातीय लाभार्थियों के चयन एवं स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के निर्माण का कार्य टीआरआईएफईडी द्वारा आरंभ कर दिया गया है। 10 अप्रैल, 2018 से इसका प्रशिक्षण आरंभ होने का अनुमान है।
- आरंभ में वन धन विकास केंद्र की स्थापना एक पंचायत भवन में की जा रही है जिससे कि प्राथमिक प्रक्रिया की शुरुआत एसएचजी द्वारा की जा सके। इसके अपने भवन के पूर्ण होने के बाद केंद्र उसमें स्थानांतरित हो जाएगा।
- वन धन विकास केंद्र एमएफपी के संग्रह में शामिल जनजातियों के आर्थिक विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा जो उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का ईष्टतम उपयोग करने और एमएफपी समृद्ध ज़िलों में टिकाऊ एमएफपी आधारित आजीविका उपयोग करने में उनकी सहायता करेंगे।
- गौण वन उपज (एमएफपी) वन क्षेत्र में रहने वाले जनजातियों के लिये आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं। समाज के इस वर्ग के लिये एमएफपी के महत्त्व का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है क्यूंकि वन में रहने वाले लगभग 100 मिलियन लोग भोजन, आश्रय, औषधि एवं नकदी आय के लिये एमएफपी पर निर्भर करते हैं।
देशभर के वन क्षेत्रों के जनजातीय ज़िलों में दो वर्ष में लगभग 3,000 वन धन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले 39 ज़िलों में प्राथमिकता के आधार पर यह पहल शुरू करने का प्रस्ताव पहले ही शुरू किया जा चुका है। इसके बाद धीरे-धीरे योजना का विस्तार देश के अन्य जनजातीय ज़िलों में किया जाएगा। इसके साथ-साथ यह भी प्रस्ताव किया गया कि वन धन एसएचजी के प्रतिनिधियों से गठित प्रबंधन समिति स्थानीय स्तर पर केंद्रों का प्रबंधन करेगी।
क्या हैं ये प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना ?
हम कहना चाहत हैं कि, भारत सरकार ने एक बड़ा कदम इस योजना के माध्यम से उठाया हैं जिसके तहत हमारे प्रकृति को पुन-जीवित किया जायेगा और हमारे इससे जन-जातिय समुदायों को लाभ मिलेगा, उनका जीवन-स्तर उच्च होगा और वन-उत्पादो के विक्रय से बेहतर लाभ हमारे जनजातिय समुदायो को मिलेगा।
योजना की विधिवत् शुभारम्भ भारत के प्रधानमंत्री श्री. नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल,2018 को भारतीय संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर की गई थी।
इस योजना के सकारात्मक पहलूओँ से प्रभावित होकर सरकार इस योजना का विस्तार में 3000 वन घन केद्रो के माध्यम से करने जा रही हैं और इस योजना के तहत पूरे देश में 30,000 स्वंय सहायता समूहो की स्थापना का ब्लू-प्रिंट तैयार किया गया हैं।
वन धन विकास योजना केंद्र – उद्देश्य
PM Van Dhan Yojana केन्द्रों के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्न्लिखित हैं जो जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए जमीनी स्तर से आर्थिक स्तर पर काम करेंगे:
- इस पहल का उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर एमएफपी में मूल्य वृद्धि कर ज़मीनी स्तर पर जनजातीय समुदाय को व्यवस्थित करना है।
- इसके तहत जनजातीय समुदाय के वनोत्पाद एकत्रित करने वालों और कारीगरों की आजीविका आधारित विकास को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
- इस पहल के ज़रिये गैर लकड़ी वन उत्पाद की मूल्य श्रृंखला में जनजातीय लोगों की भागीदारी वर्तमान में 20 प्रतिशत है जिसे बढ़ाकर लगभग 60 प्रतिशत करने की उम्मीद है।
- एमएफपी या अधिक उपयुक्त के रूप में उल्लिखित गैरलकड़ी वनोत्पाद (एनटीएफपी) देश के लगभग 5 करोड़ जनजातीय लोगों की आय और आजीविका का प्राथमिक स्रोत है।
- गौरतलब है कि देश में अधिकतर जनजातीय ज़िले वन क्षेत्रों में हैं। जनजातीय समुदाय पारंपरिक प्रक्रियाओं से एनटीएफपी एकत्रित करने और उनके मूल्यवर्धन में पारंगत होते हैं।
- यही कारण है कि स्थानीय कौशल और संसाधनों पर आधारित जनजातीय लोगों के विकास का यह आदर्श मॉडल एनटीएफपी केंद्रित होगा।
इस योजना को लागू करने के पीछे भारत सरकार व जनजातीय मंत्रालय आदिवासी लोगों की आय में वृद्धि करना चाहता है क्यूंकि आदिवासी समाज आधुनिक क्षेत्र से कटे हुए होते हैं तो उनके पास वनों के उत्पादों से होने वाली आय के अलावा कोई अन्य साधन नहीं होता। जनजातीय कार्य मंत्रालय देश के आदिवासी समुदाय की दशा और दिशा को हर हाल में सुधारने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वन धन विकास केंद्रों का निर्माण शुरू किया गया है।
Van Dhan Yojana रजिस्ट्रेशन,आवेदन प्रक्रिया व सम्पूर्ण जानकारी
वन धन योजना से जुड़ी अन्य किसी प्रकार की जानकारी हासिल करने के लिए, एंव आवेदन करने के लिए आप इसकी आधिकारिक साइट पर जाना होगा |
यंहा जा कर आपको आवेदन की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी।
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The Ministry of Tribal Affairs and TRIFED launched the Van Dhan scheme in 2018.
The Van Dhan scheme aims at the economic development of tribals involved in the collection of Minor Food Produces (MFPs) by helping them in optimum utilization of natural resources and providing them with a sustainable livelihood.
People living in Tribal area of India.